महाकालेश्वर मंदिर में श्रृंगार गिरने की घटना ने उठाए कई सवाल

18 अगस्त को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में एक असामान्य घटना घटी। 18 अगस्त को भांग से भगवान शिव का मुखौटा बनाया गया था। श्रृंगार पूरा करके जैसे ही आरती शुरू होने वाली थी कि मुखौटे से एक नेत्र, नाक और होंट नीचे गिर गए।

Aug 21, 2025 - 15:27
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महाकालेश्वर मंदिर में श्रृंगार गिरने की घटना ने उठाए कई सवाल
The incident of falling makeup in Mahakaleshwar temple raised many questions

उज्जैन के महाकाल के श्रृंगार की बात ही अलग है। हर रोज नया श्रृंगार और नया आकार हर किसी को आकर्षित करता है। 18 अगस्त को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में एक असामान्य घटना घटी। जिसे जानकर लोग किसी अनहोनी का संकेत मान रहे हैं। दरअसल 18 अगस्त को भांग से भगवान शिव का मुखौटा बनाया गया था। श्रृंगार पूरा करके जैसे ही आरती शुरू होने वाली थी कि मुखौटे से एक नेत्र, नाक और होंट नीचे गिर गए। यह पूरी घटना मंदिर के सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। 

घटना पर उठे सवाल

अचानक हुई इस घटना के बाद मंदिर प्रबंधन समिति और पंडे-पुजारियों की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं। धार्मिक विशेषज्ञों और ज्योतिषाचार्यों ने इस घटना को लेकर अपने अलग-अलग तर्क दिए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश की अनदेखी?

वर्ष 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने शिवलिंग के क्षरण को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें पंचामृत व अन्य सामग्री को सीमित मात्रा में चढ़ाने के आदेश थे। बावजूद इसके, बताया जा रहा है कि भांग की मात्रा सीमित नहीं की जा रही है, जिससे शिवलिंग पर असर पड़ रहा है। मुखौटा गिरने का कारण भी अधिक मात्रा में भांग का उपयोग बताया जा रहा है।

ज्योतिषाचार्यों की राय

ज्योतिषाचार्य अमर त्रिवेदी ने इसे एक अप्राकृतिक संकेत बताया है। उनका मानना है कि यदि कोई सामग्री श्रद्धा और धर्मसम्मत मानसिकता से अर्पित न की जाए तो देवता उसे स्वीकार नहीं करते। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि पत्थरों की अपनी आद्रता और तापमान होता है, और भांग जैसी ठंडी व गीली सामग्री इसके संपर्क में आने पर गिर सकती है। उन्होंने इसे मौसम परिवर्तन और भविष्य में संभावित जल संकट का संकेत भी बताया।

शास्त्रों में भांग से श्रृंगार का उल्लेख नहीं

धार्मिक विद्वान डॉ. मोहन गुप्त का कहना है कि किसी भी शास्त्र, शिव पुराण या लिंग पुराण में भांग से शिवलिंग के श्रृंगार का उल्लेख नहीं मिलता। इसके विपरीत, उनका मानना है कि यह परंपरा शास्त्रसम्मत नहीं है और इससे शिवलिंग को क्षति पहुंच सकती है।

पुजारी नहीं मान रहे विरोध

हालांकि धार्मिक विद्वानों द्वारा भांग के श्रृंगार का विरोध किया जा रहा है, लेकिन मंदिर के पुजारी इस परंपरा को जारी रखे हुए हैं। अब श्रृंगार के अपने आप गिरने को कई लोग इस बात का संकेत मान रहे हैं कि महाकाल स्वयं इस विधि को अस्वीकार कर रहे हैं।