12 दिन में अर्चना का नहीं मिला कोई सुराग, कहीं बाघ ने तो नहीं कर लिया शिकार
सिविल जज की तैयारी कर रही कटनी की अर्चना तिवारी को लापता हुए पूरे 12 दिन बीत चुके हैं। अभी तक अर्चना के बारे में कोई सुरगा नहीं मिल पाया है।

सिविल जज की तैयारी कर रही कटनी की अर्चना तिवारी को लापता हुए पूरे 12 दिन बीत चुके हैं। अभी तक अर्चना के बारे में कोई सुरगा नहीं मिल पाया है। ऐसे में परिवार की बेचैनी बढ़ती जा रही है। कहीं उनकी बेटी के साथ कोई हादसा तो नहीं हुआ। वहीं अब यह भी आशंका जताई जा रही है कि वह मिडघाट के जंगों में गिर गई होगी और संभव है कि किसी बाघ ने उसका शिकार कर लिया होगा। इसी संदेह के चलते अब पुलिस और वन विभाग की टीमों ने जंगल में सर्च ऑपरेशन की शुरूआत कर दी है।
जंगल में तलाशी अभियान
जीआरपी और वन विभाग की टीमें अब मिडघाट के जंगलों में उसकी तलाश में जुट गई हैं। यह क्षेत्र बुधनी और बरखेड़ा के बीच स्थित है, जो इंदौर-कटनी रेलवे रूट पर पड़ता है। अर्चना का आखिरी मोबाइल लोकेशन नर्मदा ब्रिज के पास मिला था, इसी वजह से खोजबीन का दायरा वहीं केंद्रित किया गया है।
बाघ से खतरे की आशंका
यह भी आशंका जताई जा रही है कि यदि अर्चना जंगल में गिरी होगी, तो बाघ ने उस पर हमला कर दिया होगा। इस इलाके में बाघों की सक्रियता पहले भी देखी गई है और हाल के दिनों में मानव हमलों की घटनाएं भी सामने आई हैं। हालांकि अभी तक पुलिस को अर्चना को लेकर कोई ठोस जानकारी नहीं मिल पाई है।
7 अगस्त से लापता
अर्चना तिवारी 7 अगस्त को रक्षाबंधन के मौके पर इंदौर स्थित अपने हॉस्टल से निकली थी और उसे अपने घर कटनी जाना था। भोपाल पहुंचने तक उसने परिजनों से संपर्क किया था, लेकिन इसके बाद से उसका कोई अता-पता नहीं चला। सहयात्रियों के अनुसार, वह भोपाल तक ट्रेन में देखी गई थी।
अर्चना इंदौर-बिलासपुर एक्सप्रेस से यात्रा कर रही थी, लेकिन वह कटनी में ट्रेन से नहीं उतरी। उसका बैग उमरिया स्टेशन पर ट्रेन में ही मिला था। कॉल रिकॉर्ड की जांच में भी कोई ठोस जानकारी हाथ नहीं लगी है, जिससे परिवार की चिंता लगातार बढ़ती जा रही है।